Rajasthan News : राजस्थान में केबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरिवास ( Pratap singh Khachariyawas ) द्वारा ब्यूरोक्रेसी पर निशाना साधने के बाद एक बार फिर व्यवस्थापिका और कार्यपालिका के बीच तलवार खिंचती दिखाई दे रही हैं. ये पहला मौका नहीं है जब किसी राजनेता ने अफसरों पर नकेल कसने की बात कही हो. दरअसल बुधवार को अपनी बेबाकी के लिए चर्चा में रहने वाले मंत्री प्रताप सिंह खाचरिवास ने सीएम अशोक गहलोत ( Ashok Gehlot ) को पत्र लिखकर मांग की है कि मंत्रियों को उनके संबंधित विभाग में तैनात अफसरों की एनुअल कॉन्फिडेंशियल रिपोर्ट में एंट्री करने का अधिकार दिया जाए. दरअसल राजस्थान ( Rajasthan ) हो या पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश, अक्सर ही जनप्रतिनिधियों की शिकायत रहती है कि अफसरशाही बेलगाम होकर उनकी बात तक नहीं सुनती.
खुद राजस्थान सरकार में बीज बोर्ड के अध्यक्ष, राज्य मंत्री और कद्दावर नेता धीरज गुर्जर ट्वीट ने ट्वीट करके कहा था कि "अधिकारी कभी किसी सरकार के नहीं होते वो सत्ता के और खुद के होते है और जब अपनी कुर्सी को बचाये रखने के लिये विपक्षी दलों से हाथ मिला लेते है तब वो सरकार की कब्र खोद रहे होते है. समय पर इनकी पहचान ना करने से किसी भी सरकार को गम्भीर परिणाम भुगतने पड़ते है"यही नहीं आज की तारीख में मुख्यमंत्री गहलोत के खास सिपेहसालार माने जाने वाले खेल मंत्री अशोक चांदना बीते कुछ महीने पहले नौकरशाही के रवैये से नाराज होकर इस्तीफे तक की पेशकश कर चुके हैं. विधायक गणेश घोघरा, रामलाल मीना, राजेंद्र बिधूड़ी, भरत सिंह, गिर्राज सिंह मलिंगा और नौकरशाही के बीच टकराव की खबरें मीडिया की सुर्खियां बनती रही हैं. पहले भी मंत्री रमेश मीना, प्रताप सिंह खाचरियावास, विश्वेंद्र सिंह, उदयलाल आंजना, प्रमोद जैन भाया और मंत्री भजनलाल जाटव अफसरों के रवैये से क्षुब्ध होकर नाराजगी जता चुके हैं. सीएम गहलोत के सलाहकार और विधायक संयम लोढा तो गृह और राजस्व विभाग को विशेषाधिकार हनन का नोटिस थमा चुके हैं.
यही नहीं बीते साल 16 अक्टूबर 2021 को टोडाभीम विधायक पृथ्वीराज मीणा ने तत्कालीन जिला पुलिस अधीक्षक मृदुल कच्छावा पर काफी संगीन आरोप लगाते हुए बाकायदा सीएम अशोक गहलोत को पत्र लिखकर जिले से बाहर तैनाती की मांग तक कर दी थी. बताया जाता है कि विधायक मीणा और एसपी मृदुल कच्छावा के बीच विवाद की मुख्य वजह एक सीआई और कांस्टेबल की पोस्टिंग को लेकर हुआ था. विधायक पीआर मीणा ने एक इंस्पेक्टर और कांस्टेबल को हटाने की मांग की थी जिसे एसपी मृदुल कच्छावा ने मानने से इंकार कर दिया था और उसके बाद ईगो को लेकर पूरा विवाद खड़ा हुआ. इस पूरे मामले में हालांकि सोशल मीडिया और दूसरे माध्यमों से एसपी मृदुल कच्छावा को काफी समर्थन मिला था.विवाद की असली वजह टोडाभीम क्षेत्र में पुलिस कॉन्स्टेबल और सीआई की पोस्टिंग का विवाद बताया जा रहा है. मीणा एक इंस्पेक्टर और कॉन्स्टेबल को हटवाना चाहते थे. एसपी ने उनका कहना नहीं माना. विधायक का आरोप है कि कॉन्स्टेबल ने उनके क्षेत्र की महिला से अभद्रता की और इससे जातीय संघर्ष की आशंका थी. इसके बावजूद उसे नहीं हटाया गया

